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स्कंदगुप्त (नाटक): जयशंकर प्रसाद द्वितीय अंक : स्कंदगुप्त [मालव में शिप्रा-तट-कुंज] देवसेना--इसी पृथ्वी पर है और अवश्य है। विजया--कहाँ राजकुमारी? संसार में छल, प्रवञ्चना और हत्याओं को देखकर कभी-कभी मान ही ...